40+ Best Gulzar Barish Shayari ( 2025 NEW रेन गुलज़ार शायरी)

by Ekta
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gulzar barish shayari

आज हम gulzar barish shayari हिंदी में शेयर करने जा रही हूँ ,बारिश का मौसम में गुलज़ार शायरी को बहुत पसंद करते है लोग , ये एक ऐसा मौसम है जो सभी को पसंद आते है। बारिश आने के बाद मौसम एकदम बदल जाता है और सुहाना हो जाता है, बारिश के दिनों में गरमा – गरम समोसा , पकोड़ा और साथ में चाय पिने का मन सभी को करता है , तो चलिए चाय पिने के साथ – साथ गुलजार बारिश शायरी का आनंद लिया जाये।

Gulzar barish shayari 2025 में ट्रेंड में चल रहे न्यू बारिश शायरी मिलेगा। और साथ में गुलजार barish shayari image मिलेगा, जिसे आप अपने Whatsapp, Instagram, Facebook पर status लगा सकतें है ।

Gulzar Barish Shayari ( Rain गुलज़ार शायरी)

“कोई तो *बारिश ?ऐसी हो जो तेरे साथ बरसे
तन्हा तो मेरी ऑंखें हर रोज़ बरसाती है” !!

*बारिश और “मोहब्बत” दोनों ही यादगार होते हे
बारिश में जिस्म भीगता हे और मोहब्बत ?में आँखे !

“खुद भी रोता है मुझे भी रुला?देता है
ये *बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है!!

“ये बारिश का मौसम और तुम्हारी याद
चलो फिर मिलते हैं एक कप ☕चाय के साथ !

मासूम मोहब्बत?का बस इतना फसाना है
कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है !

“इस (बारिश) के मौसम में अजीब सी कशिश है
ना चाहते हुए भी कोई “शिदत” से याद आता है!

कहीं फिसल न जाऊं तेरे खयालों में चलते चलते
अपनी यादों को रोको मेरे शेहेर में बारिश?हो रही है

कोई रंग नहीं होता ?बारिश के पानी में
फिर भी फ़िज़ा को रंगीन बना देता है !!

~हवा भी रूक जाती है% कहने को कुछ तराने
बारिश?की बूंदे भी उसे छूने को करती है बहाने !

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।
बारिश शायरी गुलजार

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बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।
बारिश शायरी गुलजार

“उधड़ी सी किसी फ़िल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो ग़मगीन थी बारिश!
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।

फितरत तो कुछ यूं भी
है इंसान की बारिश खत्म
हो जाए तो छतरी भी बोझ
लगती है. !!

ये बारिश का मौसम भी फीका सा लगता है!!
तुम बिन ये सावन भी अधूरा सा लगता है!!
बारिश शायरी गुलजार

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कभी बेपनाह सी पड़ी कभी गुम सी है !!
यह बारिश भी कुछ कुछ तुम सी है !!

मासूम प्यार का बस इतना सा फसाना है !!
कागज की नाव एवं बरसात का मौसम हैं !!

बड़ा सुहावन होता है मौसम ?बारिश का
दो दिलो को मिला देता है मौसम बारिश का

सांस बन कर तुम मेरे दिल में समा जाते हो
जब भी तुम्हे याद करता हूं बरसात बन के आ जाते हो

“दोस्ती उन बारिश की तरह होती है,
जो सुखी ज़मीन को `हमेशा हरा भरा रखती है।

किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर…

Barish Quotes by Gulzar

अब भी बरसात?की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की

बारिश की बूंदों से निर्मित हैं ये कविता,
मिट्टी के संग पिघलती हैं ये भावनाएँ।
ज़िंदगी की नयी कहानी लिखती हैं ये अक्षर,
गुलज़ार की रचनाओं का हैं ये सफ़र।

“मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है!

मुझे ऐसा ही जिन्दगी का हर एक पल चाहिए,
प्यार से भरी बारिश और संग तुम चाहिए !!

कोई इस तरह भी वाकिफ हो मेरी जिंदगी से,
की मैं बारिश में भी रोऊँ?और वो मेरे आँसूं पढ़ ले !

इश्क़ की राह में हम जो चल पड़े,
ख़ुदा ने ख़ुशियों की बारिश ता’मीर कर दी।

खुशबूओं की गोद में छिपी रंगीन बारिश गिरती है,
रिमझिम की आहट में रात की चादर ओढ़ती है।
हर बूंद बरसती है एक कहानी संग लायी है,
और ग़म की आहट से, रोज़ाना दिल गुज़रती है।

इश्क़ के पन्नों पर ख़ामोश ?बारिश होती है,
जब बूंदों में भी तेरा ख़्वाब समाया होता है।

बारिश की बूंदों से आग की तरह जल जाता है दिल,
चिढ़ जाते हैं रोम रोम में बहकर वो लम्हे खिल.
अल्फाज़ कम पड़ जाते हैं, और भावनाओं की बारिश होती है,
गुलज़ार की नज़्मों से, अजनबी ये दुनिया जीती है।

आज तो बहुत खुश हो गए आप क्योकि
बारिश जो हो रही है और बारिश मैं तो
सभी मेंडक खुश होते है.

बारिश की बूंदों के साथ एक अलग सा सुर लगता है,
मौसम के जादू में दिल का ख्वाबूर घुल जाता है।
धुप और छाया के खेल में मैं खो जाता हूँ अक्सर,
गुलज़ार की नज़्मों के ज़रिए एक नया रंग बनता हूँ।

हंसी की झलक बिछ गई ज़मीन पर,
बारिश के बाद की खुशबू के समान।
आपकी मुस्कान जगमगाती हैं सबको,
जैसे सूरज की किरणों में चमकता हर सांस।

“बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।\

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उधड़ी सी किसी फिल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो गमगीन थी बारिश।
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।

“बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत?मे इतना गिर जाता है!

“रोई?है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।

“पहले बारिश होती थी
तो याद आते थे,
अब याद आते हो
तो बारिश होती है!!

“जब भी होगी पहली बारिश तुमको सामने पाएँगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पाएँगे!

“धन्यवाद”

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